खाटू श्याम चालीसा पाठ के क्या लाभ हैं? - Khatu Shyam Chalisa

खाटू श्याम चालीसा पाठ के क्या लाभ हैं? - Khatu Shyam Chalisa, इसमें खाटू श्याम के प्रति भक्ति को प्रकट करने के लिए चालीसा पाठ के बारे में बताया है।

Khatu Shyam Chalisa

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खाटू श्याम चालीसा एक भक्ति गीत या भजन है जो कि खाटू में विराजित कलियुग के भगवान, शीश के दानी, तीन बाण धारी, हारे के सहारे श्याम बाबा यानी भगवान कृष्ण के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करने का एक माध्यम है।

खाटू श्याम चालीसा का पाठ क्यों करना चाहिए?, Khatu Shyam Chalisa Ka Paath Kyon Karna Chahiye?


श्याम बाबा की चालीसा की बड़ी महिमा है। खाटू श्याम चालीसा का नियमित पाठ करने से बाबा श्याम की असीम कृपा होती है। श्याम चालीसा का पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

घर में सुख और समृद्धि आती है और बिगड़े काम बनने लगते हैं। घर से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है और घरेलू झगड़ों में कमी आने लगती है।

इसके साथ ही धन, बल और बुद्धि की प्राप्ति होती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि श्याम चालीसा के नियमित पाठ से व्यक्ति को सफलता मिलने लगती है।

खाटू श्याम चालीसा लिरिक्स, Khatu Shyam Chalisa Lyrics


दोहा


श्री गुरु चरणन ध्यान धर, सुमीर सच्चिदानंद।
श्याम चालीसा भजत हूँ, रच चौपाई छंद।।

चौपाई


श्याम श्याम भजि बारम्बारा,सहज ही हो भवसागर पारा। (1)
इन सम देव न दूजा कोई, दीन दयालु न दाता होई। (2)
भीम सुपुत्र अहिलावती जाया, कहीं भीम का पौत्र कहाया। (3)
यह सब कथा सही कल्पान्तर, तनिक न मानों इनमें अन्तर। (4)
बर्बरीक विष्णु अवतारा, भक्तन हेतु मनुज तनु धारा। (5)
वासुदेव देवकी प्यारे, यशुमति मैया नन्द दुलारे। (6)
मधुसूदन गोपाल मुरारी, बृजकिशोर गोवर्धन धारी। (7)
सियाराम श्री हरि गोविन्दा, दीनपाल श्री बाल मुकुन्दा। (8)
दामोदर रणछोड़ बिहारी, नाथ द्वारिकाधीश खरारी। (9)
नरहरि रूप प्रहलाद प्यारा, खम्भ फारि हिरनाकुश मारा। (10)
राधा वल्लभ रुक्मिणी कंता, गोपी बल्लभ कंस हनंता। (11)
मनमोहन चितचोर कहाये, माखन चोरि-चारि कर खाये। (12)
मुरलीधर यदुपति घनश्यामा, कृष्ण पतितपावन अभिरामा। (13)
मायापति लक्ष्मीपति ईसा, पुरुषोत्तम केशव जगदीशा। (14)
विश्वपति त्रिभुवन उजियारा, दीनबन्धु भक्तन रखवारा। (15)
प्रभु का भेद कोई न पाया, शेष महेश थके मुनियारा। (16)
नारद शारद ऋषि योगिन्दर, श्याम श्याम सब रटत निरन्तर। (17)
कवि कोविद करि सके न गिनन्ता, नाम अपार अथाह अनन्ता। (18)
हर सृष्टि हर युग में भाई, ले अवतार भक्त सुखदाई। (19)
हृदय माँहि करि देखु विचारा, श्याम भजे तो हो निस्तारा। (20)


कीर पड़ावत गणिका तारी, भीलनी की भक्ति बलिहारी। (21)
सती अहिल्या गौतम नारी, भई श्राप वश शिला दुखारी। (22)
श्याम चरण रज चित लाई, पहुँची पतिलोक में जाई। (23)
अजामिल अरु सदन कसाई, नाम प्रताप परम गति पाई। (24)
जाके श्याम नाम अधारा, सुख लहहि दुख दूर हो सारा। (25)
श्याम सुलोचन है अति सुन्दर, मोर मुकुट सिर तन पीताम्बर। (26)
गल वैजयन्ति माल सुहाई, छवि अनूप भक्तन मन भाई। (27)
श्याम श्याम सुमिरहुँ दिनराती, शाम दुपहरि अरु परभाती। (28)
श्याम सारथी जिसके रथ के, रोड़े दूर होय उस पथ के। (29)
श्याम भक्त न कहीं पर हारा, भीर परि तब श्याम पुकारा। (30)
रसना श्याम नाम रस पी ले, जी ले श्याम नाम के हाले। (31)
संसारी सुख भोग मिलेगा, अन्त श्याम सुख योग मिलेगा। (32)
श्याम प्रभु हैं तन के काले, मन के गोरे भोले-भाले। (33)
श्याम संत भक्तन हितकारी, रोग दोष अघ नाशै भारी। (34)
प्रेम सहित जे नाम पुकारा, भक्त लगत श्याम को प्यारा। (35)
खाटू में है मथुरा वासी, पार ब्रह्म पूरण अविनासी। (36)
सुधा तान भरि मुरली बजाई, चहुँ दिशि नाना जहाँ सुनि पाई। (37)
वृद्ध बाल जेते नारी नर, मुग्ध भये सुनि वंशी के स्वर। (38)
दौड़ दौड़ पहुँचे सब जाई, खाटू में जहाँ श्याम कन्हाई। (39)
जिसने श्याम स्वरूप निहारा, भव भय से पाया छुटकारा। (40)

दोहा


श्याम सलोने साँवरे, बर्बरीक तनु धार।
इच्छा पूर्ण भक्त की, करो न लाओ बार।।

लेखक, Writer

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्त्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

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