कहाँ है औरंगजेब द्वारा तुड़वाया गया ओरिजनल श्याम मंदिर? - Khatu Shyam and Aurangzeb

Khatu Shyam and Aurangzeb, इसमें खाटू धाम नगरी में औरंगजेब द्वारा तुड़वाए गए एक हजार साल पुराने ओरिजनल श्याम मंदिर के बारे में जानकारी दी गई है।

Khatu Shyam and Aurangzeb


क्या आपको पता है कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने खाटू में श्याम बाबा के मूल मंदिर को तुड़वाकर उसकी जगह एक मस्जिद बनवा दी थी?

क्या आप ये भी जानते हैं कि अब आप जिस श्याम मंदिर में श्याम बाबा के दर्शन के लिए जाते हैं उसे औरंगजेब की मौत के बाद बनाया गया था?

आज हम आपको श्याम बाबा के मंदिर से संबंधित एक महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है।

जब बर्बरीक ने भगवान कृष्ण को अपना शीश दान कर दिया तब कृष्ण ने बर्बरीक के शीश को युद्ध के मैदान के पास की पहाड़ी पर स्थापित कर दिया ताकि वो महाभारत के युद्ध को अंत तक देखें।

हजारों वर्षों के बाद बर्बरीक का वह शीश एक नदी में बहता हुआ खाटू में आ कर एक टीले के नीचे दब गया। बाद में जब यहाँ के चौहान राजा ने इस शीश को इसके प्रकट होने वाली जगह यानी वर्तमान श्याम कुंड से थोड़ी दूरी पर एक मंदिर में स्थापित करवाया।


आपको लगता होगा कि ये मंदिर वही है जिसमें चौहान राजा ने इसे स्थापित कराया था लेकिन ऐसा नहीं है। 

अगर हम खाटू श्याम मंदिर के प्रामाणिक इतिहास की बात करें तो पंडित झाबरमल्ल शर्मा की किताब खाटू श्यामजी का इतिहास में पेज नंबर 40 और 49 पर बताया गया है कि राजा ने श्याम कुंड से मूर्ति को निकलवाकर बाजार में एक प्राचीन मंदिर में स्थापित करवाया। उस समय इस मंदिर की परिक्रमा में एक शिवालय आता था जो आज भी मौजूद है।

मुगल काल में बादशाह औरंगजेब ने श्याम बाबा के इस प्राचीन मंदिर को तुड़वाकर इसकी जगह एक मस्जिद बनवा दी। आप आज भी श्याम मंदिर की जगह बनी इस मस्जिद के पास उस प्राचीन शिवालय को देख सकते है।

औरंगजेब की मृत्यु के बाद 1720 ईस्वी में जोधपुर के शासक अभय सिंह ने श्याम बाबा के नए मंदिर की शुरुआत कराई और मंदिर का निर्माण पूर्ण हो जाने पर बाबा श्याम के शीश को उस मंदिर में स्थापित करवाया।

आज हम खाटू में श्याम बाबा के दर्शन के लिए जिस मंदिर में जाते हैं वो श्याम बाबा का मूल मंदिर ना होकर जोधपुर के शासक अभय सिंह द्वारा बनवाया गया दूसरा मंदिर है।

आज के समय ज्यादातर लोगों को तो खाटू में श्याम बाबा के मूल मंदिर के बारे में पता ही नहीं है। उम्मीद है इस जानकारी से सभी श्याम भक्तों को श्याम मंदिर के इतिहास के बारे में उपयोगी बातें जानने को मिली होगी।


डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें क्योंकि इसे आपको केवल जागरूक करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
रमेश शर्मा

नमस्ते! मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ और मेरी शैक्षिक योग्यता में M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS शामिल हैं। मुझे भारत की ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक स्थलों को करीब से देखना, उनके पीछे छिपी कहानियों को जानना और प्रकृति की गोद में समय बिताना बेहद पसंद है। चाहे वह किला हो, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरना, पहाड़ या झील, हर जगह मेरे लिए इतिहास और आस्था का अनमोल संगम है। इतिहास का विद्यार्थी होने की वजह से प्राचीन धरोहरों, स्थानीय संस्कृति और इतिहास के रहस्यों में मेरी गहरी रुचि है। मुझे खास आनंद तब आता है जब मैं कलियुग के देवता बाबा खाटू श्याम और उनकी पावन नगरी खाटू धाम से जुड़ी ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारियाँ लोगों तक पहुँचा पाता हूँ। इसके साथ मुझे अलग-अलग एरिया के लोगों से मिलकर उनके जीवन, रहन-सहन, खान-पान, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानना भी अच्छा लगता है। साथ ही मैं कई विषयों के ऊपर कविताएँ भी लिखने का शौकीन हूँ। एक फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे रोग, दवाइयाँ, जीवनशैली और हेल्थकेयर से संबंधित विषयों की भी अच्छी जानकारी है। अपनी शिक्षा और रुचियों से अर्जित ज्ञान को मैं ब्लॉग आर्टिकल्स और वीडियो के माध्यम से आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 📩 किसी भी जानकारी या संपर्क के लिए आप मुझे यहाँ लिख

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जय श्री श्याम !

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