पानी में डूबा हुआ भोलेनाथ का चमत्कारी मंदिर - Chandreshwar Mahadev Mandir Chandwas Udaipur

Chandreshwar Mahadev Mandir Chandwas Udaipur, इसमें साल में पाँच महीने पानी में डूबे रहने वाले चंदवास के चंद्रेश्वर महादेव मंदिर की जानकारी दी है।

Chandreshwar Mahadev Mandir Chandwas Udaipur

आपने देखा होगा कि बाबा भोलेनाथ अलग-अलग जगह पर बने मंदिरों में अलग-अलग रूपों में विराजते हैं। भोलेनाथ के ज्यादातर मंदिर कुछ ना कुछ विशेषता लिए होते हैं।

आज हम आपको भोलेनाथ के एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो साल में चार पाँच महीने पानी में डूबा रहता है। इन महीनों में शिवलिंग भी पूरी तरह से जलमग्न रहता है।

इसके साथ ही इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहाँ पर भोलेनाथ को न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है। इस प्रकार भोलेनाथ एक जज की तरह लोगों के विवादों का निपटारा करते हैं।

तो आज हम जानते हैं इस अनोखे मंदिर के बारे में, जो लोगों की आस्था का केंद्र होने के साथ उनकी समस्याओं के समाधान का भी प्रमुख केंद्र है। तो आइए शुरू करते हैं।

चंद्रेश्वर महादेव मंदिर की यात्रा और विशेषता - Chandreshwar Mahadev Temple Tour and Specialties


मानसी नदी के तट पर बने हुए महादेव के इस अनूठे मंदिर को सभी लोग चंद्रेश्वर महादेव के मंदिर के नाम से जानते हैं।

हर साल बारिश के मौसम में मंदिर का एक बड़ा हिस्सा धीरे-धीरे पानी में डूब जाता है और लगभग चार पाँच महीने तक पानी में डूबा रहता है।

जब मंदिर के पानी में डूबने की शुरुआत होती है तब गर्भगृह में शिवलिंग के आसपास मछलियाँ ही मछलियाँ दिखाई देने लगती है जो शिवलिंग को अलौकिक बना देती हैं।

एक मोटे तौर पर देखें तो सावन के महीने से लेकर शिवरात्रि के त्योहार तक मंदिर में पानी भरा रहता है जिस वजह से भक्तजन भोलेनाथ के दर्शन नहीं कर पाते हैं। इस समय मंदिर कुछ अलग ही रूप में नजर आता है।

कई बार तो पानी इतना ज्यादा ऊपर आ जाता है कि शिवलिंग भी पानी में लगभग 6 फीट गहराई में डूब जाता है। सावन के महीने में ऐसा लगता है जैसे स्वयं गंगा माँ भोलेनाथ का अभिषेक करने चली आई हो।

इन चार पाँच महीनों तक शिवलिंग पूरी तरह से पानी में डूबा हुआ रहता है। इस समय श्रद्धालु भोलेनाथ के मंदिर के दर्शन नहीं कर पाते हैं।

पानी में क्यों डूब जाता है चंद्रेश्वर महादेव मंदिर? - Why does Chandreshwar Mahadev Temple sink in water?


मंदिर को पानी में डूबा हुआ देखकर आपके दिमाग में ये सवाल जरूर आ रहा होगा कि आखिर ये मंदिर पानी में डूब क्यों जाता है।

दरअसल यह मंदिर मानसी नदी के किनारे पर बना हुआ है। प्राचीन समय में यह मंदिर पानी में नहीं डूबता था और श्रद्धालु पूरे साल मंदिर में महादेव के दर्शन करने के लिए आते थे।

लेकिन वर्ष 2005 में इस मानसी नदी के पानी को रोक कर इस पर मानसी वाकल बाँध बना दिया गया जिस वजह से यह मंदिर इस बाँध के डूब क्षेत्र में आ गया।

अब हर वर्ष बारिश के मौसम में जैसे-जैसे यह बाँध भरने लगता है वैसे-वैसे यह मंदिर पानी में डूबने लगता है। बाँध के ओवरफ्लो होने की स्थिति में यह मंदिर करीब 10 फीट तक पानी में डूब जाता है।

बाद में समय के साथ जैसे-जैसे बाँध का जलस्तर कम होता है यह मंदिर पानी से बाहर आ जाता है। मार्च के महीने तक मंदिर पानी से पूरी तरह से बाहर आ जाता है।

एक मोटे तौर पर देखें तो सावन के महीने से लेकर शिवरात्रि के त्योहार तक मंदिर में पानी भरा रहता है। शिवरात्रि के बाद पानी कम हो जाता है।

चंद्रेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास - History of Chandreshwar Mahadev Temple


अगर इस मंदिर के निर्माण की बात करें तो इस मंदिर को वर्ष 1590 में एक बंजारे ने बनवाया था। उस समय से ही यह मंदिर आस पास के क्षेत्र में आस्था का एक बड़ा केंद्र है।

चंद्रेश्वर महादेव को क्यों कहा जाता है न्याय का देवता? - Why is Chandreshwar Mahadev called the God of Justice?

जब से यह मंदिर बना है तब से चंद्रेश्वर महादेव को न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है। यहाँ ऐसी मान्यता है कि सभी प्रकार के वाद-विवाद और आपसी समस्याओं का समाधान महादेव ही करते हैं।

आपसी विवाद की स्थिति में दोनों पक्षों को शिवलिंग पर हाथ रखकर कसम दिलाई जाती है। इसके बाद भोलेनाथ को न्यायाधीश मानकर सच और झूठ का फैसला उन पर छोड़ दिया जाता है।

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ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग पर हाथ रखने के बाद कोई झूठी कसम नहीं खाता है। अगर कोई झूठी कसम खाता है तो उसे शारीरिक, मानसिक और आर्थिक परेशानियों को भोगना पड़ता है।

चंद्रेश्वर महादेव के नए मंदिर की जरूरत क्यों पड़ी? - Why was there a need for a new temple of Chandreshwar Mahadev?


जैसा कि हमने आपको बताया कि चंद्रेश्वर महादेव का मंदिर चार पाँच महीने तक पानी में डूबा रहता है।

मंदिर के पानी में डूबने की वजह से इतने समय तक भक्तजन भोलेनाथ के दर्शन नहीं कर पाते इसलिए भोलेनाथ के नए मंदिर की जरूरत महसूस हुई।

मंदिर के निर्माण और विकास के लिए एक ट्रस्ट बनाया गया। ट्रस्ट ने भोलेनाथ के एक सुंदर मंदिर का निर्माण करवाया जिसमें महादेव की बड़ी मनमोहक प्रतिमा विराजमान है।

अब लोग मुख्य मंदिर के साथ-साथ इस नए मंदिर में भी भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं। मंदिर के आस पास एक सुंदर बगीचा विकसित किया गया है। इस बगीचे में कुछ प्रतिमाएँ भी लगाई गई है।

इस नए मंदिर के बगल से ही थोड़ी आगे सीढ़ियाँ बनी हुई है। ये सीढ़ियाँ मुख्य मंदिर तक जाने के लिए है। पानी में डूबा हुआ चंद्रेश्वर महादेव का मुख्य मंदिर बहुत सुंदर लगता है।

मानसी वाकल बाँध - Mansi Wakal Dam


अब थोड़ा सा उस बाँध के बारे में भी जान लेते हैं जिसके डूब क्षेत्र में आने के बाद चंद्रेश्वर महादेव का मुख्य मंदिर पानी में डूब जाता है।

गौराणा गाँव के पास होने की वजह से मानसी वाकल बाँध को गौराणा बाँध भी कहा जाता है। वर्ष 2005 में 60 करोड़ की लागत से मानसी नदी पर मानसी वाकल बाँध का निर्माण किया गया।

इस बाँध की भराव क्षमता 581.20 मीटर है। इसे देवास प्रथम चरण के नाम से जाना जाता है। इस बाँध से उदयपुर शहर में पानी की सप्लाई की जाती है।

चंद्रेश्वर महादेव मंदिर के पास घूमने की जगह - Places to visit near Chandreshwar Mahadev Temple


चंद्रेश्वर महादेव मंदिर के पास घूमने की जगह के बारे में अगर बात करें तो इस मंदिर के पास कुछ जगह है जिन्हें देखा जा सकता है।

इन जगहों में मालपुर महादेव मंदिर और मानसी वाकल बाँध प्रमुख है। ये दोनों जगह पास में ही हैं। बदराणा का हरिहर मंदिर झाड़ोल से कुछ किलोमीटर आगे है।

चंद्रेश्वर महादेव मंदिर कैसे जाएँ? - How to reach Chandreshwar Mahadev Temple?


चंद्रेश्वर महादेव मंदिर उदयपुर से 56 किलोमीटर की दूरी पर मानसी वाकल बाँध के पास स्थित चंदवास गाँव में स्थित है। चंदवास गाँव में बने होने की वजह से इस मंदिर को चंदवास महादेव भी कहा जाता है।

झाड़ोल से चंदवास महादेव की दूरी लगभग 9 किलोमीटर है। उदयपुर से चंदवास महादेव जाने के लिए आपको झाड़ोल बाईपास तक हाइवे से जाना है।

यहाँ से झाड़ोल कस्बे में ना जाकर बाईपास से थोड़ा आगे जाने पर राइट साइड में पुलिया के नीचे से ब्राह्मणों के खेरवाड़ा तक जाना है। यहाँ से लेफ्ट साइड वाला रोड सीधा चंदवास महादेव के मंदिर तक जाता है।

उदयपुर से यहाँ जाने के लिए एक दूसरा रास्ता ऊबेश्वर महादेव होते हुए भी आता है लेकिन यह सिंगल रोड है। इस रोड पर चारों तरफ पहाड़ और जंगल भी है।

अगर कोई रास्ता जानने वाला साथ हो तो इस रोड से जाने का मजा कुछ अलग ही है। अगर आप यह रास्ता नहीं जानते हैं तो आपको अकेले इस रास्ते से नहीं जाना चाहिए।

उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। ऐसी ही नई-नई जानकारियों के लिए हमसे जुड़े रहें। जल्दी ही फिर मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ।

तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।

चंद्रेश्वर महादेव मंदिर की मैप लोकेशन - Map location of Chandreshwar Mahadev Temple



चंद्रेश्वर महादेव मंदिर का वीडियो - Video of Chandreshwar Mahadev Temple



डिस्क्लेमर (Disclaimer)

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रमेश शर्मा

नमस्ते! मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ और मेरी शैक्षिक योग्यता में M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS शामिल हैं। मुझे भारत की ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक स्थलों को करीब से देखना, उनके पीछे छिपी कहानियों को जानना और प्रकृति की गोद में समय बिताना बेहद पसंद है। चाहे वह किला हो, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरना, पहाड़ या झील – हर जगह मेरे लिए इतिहास और आस्था का अनमोल संगम है। इतिहास का विद्यार्थी होने की वजह से प्राचीन धरोहरों, स्थानीय संस्कृति और इतिहास के रहस्यों में मेरी गहरी रुचि है। मुझे खास आनंद तब आता है जब मैं कलियुग के देवता बाबा खाटू श्याम और उनकी पावन नगरी खाटू धाम से जुड़ी ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारियाँ लोगों तक पहुँचा पाता हूँ। एक फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे रोग, दवाइयाँ, जीवनशैली और हेल्थकेयर से संबंधित विषयों की भी अच्छी जानकारी है। अपनी शिक्षा और रुचियों से अर्जित ज्ञान को मैं ब्लॉग आर्टिकल्स और वीडियो के माध्यम से आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 📩 किसी भी जानकारी या संपर्क के लिए आप मुझे यहाँ लिख सकते हैं: ramesh3460@gmail.com

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