चमत्कारी मंदिर जिसमें अपने आप लगती है आग - Idana Mata Mandir Bambora Udaipur

Idana Mata Mandir Bambora Udaipur, इसमें अग्नि स्नान के साथ संतान देने वाली और लकवा ठीक करने वाली ईडाणा माता के चमत्कारी मंदिर के बारे में जानकारी है।

Idana Mata Mandir Bambora Udaipur

आज हम आपको माता के एक ऐसे मंदिर में लेकर जाने वाले हैं, जिसमें माता खुद अग्नि स्नान करती है। इस अग्नि स्नान में माता की प्रतिमा के अलावा मंदिर में सब कुछ जल कर राख हो जाता है।

ऐसी मान्यता है कि माता के इस मंदिर में अगर कोई लकवे से पीड़ित मरीज आता है तो वह ठीक होकर ही जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि जिन लोगों के संतान नहीं है उनको यहाँ आने पर संतान की प्राप्ति होती है।

तो आइए आज मेवल की महारानी के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर में चलते हैं और माता से संबंधित इन सभी बातों को जानने की कोशिश करते हैं। आइए शुरू करते हैं।

ईडाणा माता मंदिर की यात्रा और विशेषता - Tour and Speciality of Idana Mata Mandir


माता का मंदिर प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर, अरावली की पहाड़ियों के बीच एक गाँव में बना हुआ है। मंदिर तक जाने के रास्ते में कई प्राकृतिक दृश्य दिखाई देते हैं।

माता के मंदिर की तरफ जाने वाले रास्तों पर सुंदर तोरण द्वार बने हुए हैं। माता के मंदिर के मुख्य दरवाजे पर भी सुंदर तोरण द्वार बना हुआ है।

यहाँ से मंदिर तक जाने के लिए थोड़ा चलना पड़ता है। आगे एक छोटा चौक है। इस चौक में एक टीन शैड के नीचे धूणा बना हुआ है। इसमें लोग नारियल चढ़ाते हैं और मन्नत का धागा बांधते हैं।

चौक के एक तरफ पीले रंग की बड़ी सी बिल्डिंग बनी हुई है। इस बिल्डिंग के अगले हिस्से में माताजी का मंदिर और पिछले हिस्से में धर्मशाला बनी हुई है।

मंदिर में सीढ़ियाँ चढ़कर ऊपर से अंदर जाने पर एक खुले चौक में बरगद के पेड़ के नीचे माताजी विराजमान है।

माताजी के अग्नि स्नान करने की वजह से बरगद के इस पेड़ को माताजी की प्रतिमा के ऊपर से हटा दिया गया है।

माता की मूर्ति के पीछे मनोकामना पूरी होने पर भक्तों की तरफ से चढ़ाए जाने वाले त्रिशूल और चुनरियाँ मौजूद हैं। भक्तों को संतान प्राप्त होने पर वे झूला चढ़ाते हैं।

माता के पास काँच के बक्से के अंदर एक अखंड ज्योत जलती रहती है। माता के दर्शन चौबीस घंटें खुले रहते हैं।

ईडाणा माता का अग्नि स्नान - Idana Mata fire bath


जैसा कि हमने आपको पहले बताया कि इस मंदिर में कभी भी अपने आप आग लग जाती है जिसमें माता की प्रतिमा के अलावा सब कुछ जल जाता है।

मंदिर में अपने आप लगी इस आग को माता का चमत्कार माना जाता है और इसे माता का अग्नि स्नान कहा जाता है।

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अग्नि स्नान की यह आग कई घंटों तक जलती रहती है। आग काफी तेज होती है जिसकी लपटें 20 फीट से भी ज्यादा ऊँची उठती हैं।

ऐसा बताया जाता है कि अग्नि स्नान की ये लपटें 5 किलोमीटर दूर तक दिखाई देती हैं। मंदिर में जैसे ही अग्नि स्नान का पता चलता है वैसे ही माताजी के जेवर उतार लिए जाते हैं।

माता को चढ़ाई चुनरियों, धागों, पूजा सामग्री और शृंगार के जल जाने के बाद यह आग अपने आप बुझ जाती है। अग्नि स्नान के बाद मंदिर को गंगाजल से धोकर वापस माता का भव्य शृंगार किया जाता है।

बिना छत के इस मंदिर के खुले में बना होने का सबसे बड़ा कारण माता का अग्नि स्नान ही है। कहते हैं कि माता के अग्नि स्नान के दर्शन करने वाले भक्तों की सभी इच्छा पूरी होती है।

ईडाणा माता के अग्नि स्नान का कारण - Reason for Idana Mata fire bath


अगर हम अग्नि स्नान के कारण की बात करें तो किसी को भी इस बारे में पता नहीं है। ऐसी मान्यता है कि उस समय माता, ज्वाला देवी का रूप धारण करके अग्नि स्नान करती है।

कहते हैं कि जब माता रानी भक्तों पर प्रसन्न होती है तब वह चढ़ावे में आए चुनरी, धागे और शृंगार की सामग्री का भार कम करने के लिए अग्नि स्नान करती है।

कब कब हुआ ईडाणा माता का अग्नि स्नान? - When did Idana Mata take fire bath?


अब हम बात करते हैं कि ईडाणा माता का अग्नि स्नान कब-कब हुआ है। आपको बात दें कि अग्नि स्नान करना माता की इच्छा पर निर्भर करता है और इसका कोई निश्चित समय नहीं है।

वैसे माता के अग्नि स्नान की यह परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है लेकिन अभी हम पिछले दो तीन वर्षों की ही बात करेंगे।

पिछले दो तीन वर्षों में माता ने यहाँ पर 24 मार्च 2023, 28 मार्च 2022, और 9 और 14 मार्च 2021 को अग्नि स्नान किया है।

हम देख सकते हैं कि ये सभी अग्नि स्नान मार्च के महीने में ही हुए हैं और कभी महीने में दो बार, तो कभी वर्ष में एक बार ही अग्नि स्नान हुए हैं।

ईडाणा माता में ठीक होता है लकवा? - Paralysis is cured at Idana Mata Mandir?


मंदिर के बारे में एक विशेष मान्यता यह है कि इस मंदिर में लकवे से पीड़ित लोगों का रोग ठीक हो जाता है। सभी लकवे के मरीज रात में माता की प्रतिमा के सामने खुले चौक में आकर सोते हैं।

ऐसी मान्यता है कि माता के सामने चौक में सोने पर माता अपनी परछाई उन पर डालती है, जिसकी वजह से रोगियों का लकवा ठीक हो जाता है।

जिन मरीजों का लकवा ठीक हो जाता है वे अपने ठीक हुए अंग जैसा चाँदी या लकड़ी का अंग बनवाकर मंदिर में चढ़ाते हैं।

लकवाग्रस्त रोगियों के ठहरने और खाने की पूरी व्यवस्था मंदिर परिसर में है। यहाँ पर धर्मशाला और भोजनशाला दोनों मौजूद हैं।

ईडाणा माता मंदिर कार्यालय के नंबर - 8696125209

ईडाणा माता का इतिहास - History of Idana Mata


अगर हम मंदिर के इतिहास के बारे में बात करें तो इसे पांडवों के समय का माना जाता है। मान्यता है कि महाभारत काल में पांडवों ने यहाँ पर माता की पूजा अर्चना की थी।

इसके साथ जब एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की जयसमंद झील का निर्माण हुआ था तब महाराणा जयसिंह ने भी यहाँ आकर माता की पूजा अर्चना की थी।

कहा जाता है कि यह माता एक बरगद के पेड़ के नीचे प्रकट हुई थी। एक बार एक संत यहाँ से गुजर रहे थे तब माताजी ने उन्हें कन्या के रूप में दर्शन देकर यहाँ पर रुकने के लिए कहा।

तब संत ने यहाँ पर रुक कर अपनी तपस्या करनी शुरू कर दी। संत की तपस्या की वजह से यह जगह काफी चमत्कारी हो गई। यहाँ पर भक्तों की मनोकामनाएँ पूरी होने लग गई।

ऐसा बताते हैं कि पहले हर रविवार को यहाँ पर एक प्रकाश के साँप के दर्शन होते थे लेकिन अब किसी किस्मत वाले को ही इसके दर्शन होते हैं।

इस प्रकाश के साँप को चिती कहा जाता है जिसके दर्शन से सभी मनोकामनाएँ पूरी हो जाती हैं।

ईडाणा माता के पास घूमने की जगह - Places to visit near Idana Mata


अगर माता के इस मंदिर के पास घूमने की जगह के बारे में बात करें तो आप सलूम्बर में हाड़ी रानी का महल, जयसमंद झील, जगत अंबिका मंदिर, झामेश्वर महादेव मंदिर आदि देख सकते हैं।

ईडाणा माता मंदिर कैसे जाएँ? - How to reach Idana Mata Temple?


अब हम बात करते हैं कि माता के इस मंदिर तक कैसे जाएँ?

सबसे पहले तो हम आपको बता दें कि इस माता को मेवल की महारानी कहा जाता है। दरअसल मेवल, मेवाड़ का एक क्षेत्र है जिसमें 52 गाँव आते हैं।

इन गाँवों में ईडाणा नाम के गाँव में माताजी का यह मंदिर बना हुआ है। ईडाणा गाँव में होने की वजह से माताजी के इस मंदिर को ईडाणा माता कहा जाता है।

उदयपुर रेलवे स्टेशन से ईडाणा माता के मंदिर तक की दूरी लगभग 60 किलोमीटर है। यहाँ जाने के लिए आपको उदयपुर-चित्तौड़गढ़ हाईवे पर देबारी से राइट टर्न लेकर साकरोदा, कुराबड़, बम्बोरा होते हुए जाना है।

जयसमंद झील से यहाँ की दूरी लगभग 30 किलोमीटर और सलूम्बर से लगभग 25 किलोमीटर है। सभी तरफ से सड़क की स्थिति ठीक है।

अगर आप चमत्कारों से भरे धार्मिक पर्यटक स्थलों को देखने में रुचि रखते हैं तो आपको ईडाणा माता के इस चमत्कारी मंदिर में जरूर जाना चाहिए।

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इस प्रकार की नई-नई जानकारियों के लिए हमारे साथ बने रहें। जल्दी ही फिर से मिलते हैं एक नई जानकारी के साथ, तब तक के लिए धन्यवाद, नमस्कार।

ईडाणा माता मंदिर की मैप लोकेशन - Map location of Idana Mata Temple



ईडाणा माता मंदिर का वीडियो - Video of Idana Mata Temple



डिस्क्लेमर (Disclaimer)

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रमेश शर्मा

नमस्ते! मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ और मेरी शैक्षिक योग्यता में M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS शामिल हैं। मुझे भारत की ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक स्थलों को करीब से देखना, उनके पीछे छिपी कहानियों को जानना और प्रकृति की गोद में समय बिताना बेहद पसंद है। चाहे वह किला हो, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरना, पहाड़ या झील – हर जगह मेरे लिए इतिहास और आस्था का अनमोल संगम है। इतिहास का विद्यार्थी होने की वजह से प्राचीन धरोहरों, स्थानीय संस्कृति और इतिहास के रहस्यों में मेरी गहरी रुचि है। मुझे खास आनंद तब आता है जब मैं कलियुग के देवता बाबा खाटू श्याम और उनकी पावन नगरी खाटू धाम से जुड़ी ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारियाँ लोगों तक पहुँचा पाता हूँ। एक फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे रोग, दवाइयाँ, जीवनशैली और हेल्थकेयर से संबंधित विषयों की भी अच्छी जानकारी है। अपनी शिक्षा और रुचियों से अर्जित ज्ञान को मैं ब्लॉग आर्टिकल्स और वीडियो के माध्यम से आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 📩 किसी भी जानकारी या संपर्क के लिए आप मुझे यहाँ लिख सकते हैं: ramesh3460@gmail.com

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