आमेर के जंगल में हजारों साल पुराना मंदिर - Bhuteshwar Mahadev Mandir Jaipur

Bhuteshwar Mahadev Mandir Jaipur, इसमें जयपुर में आमेर के जंगल के बीच में मौजूद हजारों साल पुराने भूतेश्वर महादेव मंदिर के बारे में जानकारी दी गई है।

Bhuteshwar Mahadev Mandir Jaipur

जयपुर के आमेर क्षेत्र में अरावली की सुरम्य पहाड़ियों के बीच कई अनदेखे ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थल मौजूद हैं। इन्हीं में से एक धार्मिक स्थल है भूतेश्वर महादेव मंदिर। यह मंदिर चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है।

इस मंदिर के पास ही सिसियावास गाँव मौजूद है। यहाँ पहुँचने के लिए पथरीली सड़क युक्त दो रास्ते मौजूद हैं जिन पर बाइक या जीप से जाया जा सकता है।

एक रास्ता नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के पास से लायन सफारी के सामने से होते हुए सिसियावास गाँव की तरफ निकलता है तथा दूसरा रास्ता विद्याधर नगर से विश्व कर्मा इंडस्ट्रियल एरिया होते हुए अकेड़ाडूंगर वाले रास्ते से सिसियावास गाँव की तरफ निकलता है।

बायोलॉजिकल पार्क की तरफ से जाने पर सिसियावास गाँव से पहले बाईं तरफ मुड़ना पड़ता है एवं अकेड़ाडूंगर की तरफ से जाने पर सिसियावास गाँव से आगे जाकर दाईं तरफ मुड़ना पड़ता है।

इस मोड़ से लगभग आधे-पौन किलोमीटर की दूरी पर ही भूतेश्वर महादेव मंदिर स्थित है।

तीसरा रास्ता ट्रेकिंग करने वालों के लिए है। यह रास्ता आमेर की सागर झील के पास महादेव शिव मंदिर या जांट के बालाजी के पास से निकलता है।

चारों तरफ से ऊँची-ऊँची पहाड़ियों से घिरा होने के कारण वर्षा ऋतु में यह स्थान बड़ा मनमोहक हो जाता है। मंदिर के पास दाँई तरफ एक छोटा तालाब बना हुआ है जिसके पास एक पुराना कुआँ बना हुआ है।

मंदिर के सामने की तरफ पहाड़ी पर मीणा राजाओं द्वारा निर्मित प्राचीन किले कुंतलगढ़ के खंडहर मौजूद हैं। गौरतलब है कि कछवाहा राजवंश से पहले आमेर रियासत पर मीणा राजाओं का शासन था।

मंदिर में चढ़ने के लिए बहुत सी सीढ़ियाँ बनी हुई है। ऊपर जाने पर पत्थर के कई स्तंभों पर मंदिर मौजूद है। गर्भगृह एवं मंदिर का अवलोकन करने पर मंदिर की प्राचीनता का अहसास होता है।

गर्भगृह के अन्दर प्राचीन स्वयंभू शिवलिंग मौजूद हैं। शिवलिंग की लम्बाई ढाई फीट के लगभग है। शिवलिंग काफी अलौकिक प्रतीत होता है।

मंदिर में सेवा पूजा का कार्य अपनी तेरह पीढ़ियों से पुजारी ओम प्रकाश पारीक का परिवार कर रहा है। पुजारी के अनुसार मंदिर से प्राप्त एक लेख के अनुसार यह मंदिर लगभग 2100 वर्ष पुराना है।


इस मंदिर को बनाने वाले कारीगर का नाम चंदाराम कुमावत था। सदियों पहले इस क्षेत्र में जिन्न और भूतों का बोल बाला था। मंदिर में जो भी पुजारी आता था उसे ये जिन्न भूत मार देते थे।

बाद में यहाँ पर मंगल बंदी नाम के एक तपस्वी महात्मा आए और इन्होंने अपनी तपस्या के बल पर इन पर काबू पाया। उस समय के पश्चात ही यहाँ पर पुजारी नियमित रूप से पूजा करने लगे।

मंगल बंदी महाराज मंदिर के पास ही तप स्थल पर तपस्या में लीन रहते थे। आज भी मंदिर के पीछे दाँई तरफ इनका तप स्थल मौजूद है।

पुजारी आगे बताते हैं कि महाराज के पास पालतू कुत्तों की तरह शेर बैठे रहते थे। महाराज इन्हें तालाब में पानी पिलाने भी लेकर जाते थे।

महाराज के साथ उनके चार शिष्य भी रहते थे जिनके नाम केदार बंदी, शंकर बंदी आदि थे। सबसे छोटे चेले का देहावसान मात्र 12 वर्ष की आयु में ही हो गया था।

बाद में मंगल बंदी महाराज ने जीवित समाधि ले ली थी। मंदिर के बिलकुल पीछे बाईं तरफ इनकी समाधि बनी हुई है। इनकी समाधि स्थल से सटकर ही एक नींबू का पेड़ लगा हुआ है जिससे नींबू तोड़ना पूरी तरह से वर्जित है।

अब यह संयोग है या कुछ और, मेरे एक परिचित को नींबू तोड़ने पर लगभग दो महीने तक हाथ और कंधे में असहनीय सा दर्द महसूस होता था जो रात्रि में बढ़ जाता था।

महाराज की समाधि से थोड़ी दूरी पर इनके तीन चेलों की समाधियाँ भी एक लाइन में बनी हुई है। मंदिर के बाईं तरफ सवामनी और अन्य धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए जगह बनी हुई है।

बाहर की तरफ भोजन प्रसादी बनाने की व्यवस्था है। शिवरात्रि के समय यहाँ पर श्रद्धालुओं की बहुत अधिक आवाजाही रहती है।

अगर आप धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल का मजा एक साथ लेना चाहते हैं तो आपको एक बार भूतेश्वर महादेव के इस मंदिर की यात्रा जरूर करनी चाहिए।

भूतेश्वर महादेव मंदिर की मैप लोकेशन - Map Location of Bhuteshwar Mahadev Mandir



भूतेश्वर महादेव मंदिर का वीडियो - Video of Bhuteshwar Mahadev Mandir



डिस्क्लेमर (Disclaimer)

इस लेख में शैक्षिक उद्देश्य के लिए दी गई जानकारी विभिन्न ऑनलाइन एवं ऑफलाइन स्रोतों से ली गई है जिनकी सटीकता एवं विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। आलेख की जानकारी को पाठक महज सूचना के तहत ही लें क्योंकि इसे आपको केवल जागरूक करने के उद्देश्य से लिखा गया है। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।
Ramesh Sharma

नमस्ते! मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ और मेरी शैक्षिक योग्यता में M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS शामिल हैं। मुझे भारत की ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक स्थलों को करीब से देखना, उनके पीछे छिपी कहानियों को जानना और प्रकृति की गोद में समय बिताना बेहद पसंद है। चाहे वह किला हो, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरना, पहाड़ या झील, हर जगह मेरे लिए इतिहास और आस्था का अनमोल संगम है। इतिहास का विद्यार्थी होने की वजह से प्राचीन धरोहरों, स्थानीय संस्कृति और इतिहास के रहस्यों में मेरी गहरी रुचि है। मुझे खास आनंद तब आता है जब मैं कलियुग के देवता बाबा खाटू श्याम और उनकी पावन नगरी खाटू धाम से जुड़ी ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारियाँ लोगों तक पहुँचा पाता हूँ। इसके साथ मुझे अलग-अलग एरिया के लोगों से मिलकर उनके जीवन, रहन-सहन, खान-पान, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानना भी अच्छा लगता है। साथ ही मैं कई विषयों के ऊपर कविताएँ भी लिखने का शौकीन हूँ। एक फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे रोग, दवाइयाँ, जीवनशैली और हेल्थकेयर से संबंधित विषयों की भी अच्छी जानकारी है। अपनी शिक्षा और रुचियों से अर्जित ज्ञान को मैं ब्लॉग आर्टिकल्स और वीडियो के माध्यम से आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 📩 किसी भी जानकारी या संपर्क के लिए आप मुझे यहाँ लिख

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