बिना सूंड वाले गणेशजी का अनोखा मंदिर - Garh Ganesh Mandir Jaipur

Garh Ganesh Mandir Jaipur, इसमें गणेश जी के बिना सूंड वाले बाल्य रूप के दर्शन करवाने वाले जयपुर के गढ़ गणेश मंदिर के बारे में पूरी जानकारी दी गई है।

Garh Ganesh Mandir Jaipur

यूँ तो भारत में गणेश जी के अनेक मंदिर स्थित है जिनकी भक्तों में काफी अधिक मान्यता है परन्तु इनमें से एक मंदिर ऐसा भी है जो इन सभी मंदिरों में अनूठा है।

इसके अनूठे होने का कारण इसकी गणेश प्रतिमा का अद्वितीय रूप है। यह मंदिर जयपुर के प्राचीन मंदिरों में से एक प्रमुख मंदिर है जिसे गढ़ गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता है।

इसका निर्माण जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह ने अश्वमेध यज्ञ के आयोजन के साथ करवाया था।

ऐसा बताया जाता है कि महाराजा सवाई जयसिंह यन्त्र, मंत्र तथा तंत्र विद्या में प्रवीण थे जिसके प्रभाव स्वरूप इस मंदिर की स्थापना तांत्रिक विधि से कराई गई।

यह मंदिर एक गढ़ के रूप में बना हुआ है इसलिए इसे गढ़ गणेश मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर निर्माण के पश्चात ही महाराज सवाई जयसिंह ने गणेश जी के आशीर्वाद से जयपुर की नींव रखी थी।

इस मंदिर की सबसे अधिक विशेष बात जो इसे सम्पूर्ण भारत में अनूठा बनाती है वो यहाँ पर स्थित गणेश प्रतिमा का बाल रूप है।

अमूमन सम्पूर्ण भारत में गणेश जी के सूंड वाले रूप में दर्शन होते हैं परन्तु इस मंदिर में गणेशजी का बाल रूप दर्शाया जाता है जिसमें गणेश जी का बिना सूंड वाला रूप है।

इस रूप में गणेश जी की बिना सूण्ड की पुरुषाकृति वाली प्रतिमा के दर्शन होते हैं। यह मंदिर देश का इकलौता ऐसा मंदिर है जहाँ बिना सूंड़ वाले गणेश जी की प्रतिमा है।

मंदिर में भगवान गणेश के दो विग्रह बताये जाते हैं जिनमें पहला विग्रह आंकड़े की जड़ का तथा दूसरा अश्वमेध यज्ञ की भस्म का है।


यह मंदिर जयपुर शहर की उत्तर दिशा में ब्रह्मपुरी के पास नाहरगढ़ की पहाड़ी पर स्थित है। दूर से देखने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे की पहाड़ी पर कोई मुकुट रखा हो।

इस मंदिर के पास ही प्रसिद्ध गैटोर की छतरियाँ मौजूद हैं। इन छतरियों के पास से ही मंदिर के लिए सीढ़ियों का रास्ता बना हुआ है।

मंदिर तक पहुँचने के लिए दो रास्ते हैं, जिनमें एक पुराना रास्ता रैंप की तरह है तथा दूसरा रास्ता पूरी तरह से सीढ़ियों युक्त है। सीढ़ियों वाले रास्ते में कुल 365 सीढ़ियाँ बनी हुई है जिन्हें वर्ष के कुल दिनों को आधार मानकर बनाया गया था।

इस मंदिर में प्रवेश द्वार के ऊपर जहाँ सीढ़ियाँ समाप्त होती है दोनों तरफ दो पाषाण के मूषक बने हुए हैं।

कहा जाता है कि जो भी कोई इन मूषक के कान में अपनी मनोकामना व्यक्त करता है तो ये मूषक उसकी मनोकामना को भगवान गणेश तक पहुँचाते हैं और इस प्रकार भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है।

मंत्रों के उच्चारण के साथ मंदिर में प्रसाद चढ़ाया जाता है। नाहरगढ़ पर इस मंदिर का निर्माण इस तरह से कराया गया है राजपरिवार के सदस्य सिटी पैलेस से भी भगवान गणेश के दर्शन कर सकें।

राजपरिवार के सदस्य सिटी पैलेस के जिस हिस्से में रहते थे उसे चन्द्र महल के नाम से जाना जाता है। राजपरिवार के सदस्य चंद्र महल की ऊपरी मंजिल से इस मंदिर में स्थापित भगवान गणेश के बाल रूप के दर्शन दूरबीन द्वारा करते थे।

यह भी कहा जाता है कि जयपुर के सभी पूर्व महाराजा अपनी दिनचर्या की शुरुआत गढ़ गणेश जी और गोविंददेवजी के दर्शनों के साथ किया करते थे।

रोजाना की चहल पहल के बीच प्रत्येक बुधवार को यहाँ श्रद्धालुओं की अच्छी खासी भीड़ मौजूद होती है।

गणेश चतुर्थी के दूसरे दिन मेला आयोजित होने के कारण यह भीड़ चरम पर होती है। गढ़ गणेश मंदिर से जयपुर की भव्यता को निहारा जा सकता है तथा यहाँ से जयपुर का विहंगम दृश्य नजर आता है।

मंदिर की एक तरफ तलहटी में गैटोर की छतरियाँ तथा पहाड़ी पर नाहरगढ, दूसरी तरफ पहाड़ी के नीचे जलमहल एवं ठीक सामने की तरफ पुराने जयपुर शहर की बसावट का खूबसूरत नजारा यहाँ से किया जा सकता है।

बारिश के मौसम में यह पूरा इलाका हरियाली से आच्छादित हो कर बड़ा मनोरम प्रतीत होता है।

गढ़ गणेश मंदिर की मैप लोकेश - Map Location of Garh Ganesh Mandir



गढ़ गणेश मंदिर का वीडियो - Video of Garh Ganesh Mandir



डिस्क्लेमर (Disclaimer)

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Ramesh Sharma

नमस्ते! मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ और मेरी शैक्षिक योग्यता में M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS शामिल हैं। मुझे भारत की ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक स्थलों को करीब से देखना, उनके पीछे छिपी कहानियों को जानना और प्रकृति की गोद में समय बिताना बेहद पसंद है। चाहे वह किला हो, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरना, पहाड़ या झील – हर जगह मेरे लिए इतिहास और आस्था का अनमोल संगम है। इतिहास का विद्यार्थी होने की वजह से प्राचीन धरोहरों, स्थानीय संस्कृति और इतिहास के रहस्यों में मेरी गहरी रुचि है। मुझे खास आनंद तब आता है जब मैं कलियुग के देवता बाबा खाटू श्याम और उनकी पावन नगरी खाटू धाम से जुड़ी ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारियाँ लोगों तक पहुँचा पाता हूँ। एक फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे रोग, दवाइयाँ, जीवनशैली और हेल्थकेयर से संबंधित विषयों की भी अच्छी जानकारी है। अपनी शिक्षा और रुचियों से अर्जित ज्ञान को मैं ब्लॉग आर्टिकल्स और वीडियो के माध्यम से आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 📩 किसी भी जानकारी या संपर्क के लिए आप मुझे यहाँ लिख सकते हैं: ramesh3460@gmail.com

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