उदयपुर के इस मंदिर में हैं सफेद चूहे - Karni Mata Mandir Udaipur

Karni Mata Mandir Udaipur, इसमें उदयपुर में पिछोला के पास माछला मगरा के पहाड़ पर मौजूद सफेद चूहों वाले करणी माता मंदिर के बारे में जानकारी दी गई है।

Karni Mata Mandir Udaipur

उदयपुर शहर अपनी ऐतिहासिक विरासतों के अलावा धार्मिक स्थलों के लिए भी जाना जाता है। यहाँ पर कई ऐसे मंदिर बने हुए हैं जो अपने कलात्मक स्थापत्य के साथ-साथ गहरी आस्था का केंद्र भी हैं।

इन्हीं मंदिरों में से एक मंदिर है मंशापूर्ण करणी माता का मंदिर। यह मंदिर माछला मगरा क्षेत्र में पिछोला झील के निकट ऊँचे पहाड़ पर बना हुआ है।

मंदिर के निकट ही शहर की सुरक्षा के लिए परकोटे के साथ-साथ एकलिंग गढ़ बना हुआ है। इन सब का निर्माण महाराणा कर्ण सिंह ने 1620 से 1628 ईस्वी के बीच में करवाया था।

मंदिर तक जाने के दो रास्ते हैं, एक रास्ता पैदल जाने का है जो दूध तलाई के निकट से माणिक्यलाल वर्मा गार्डन होकर जाता है।

माणिक्यलाल वर्मा गार्डन तक आप अपना वाहन ले जा सकते हैं। यहाँ से ऊपर मंदिर तक पैदल जाने में लगभग दस पंद्रह मिनट का समय लगता है।

दूसरा रास्ता रोपवे से जाने का है जो दूध तलाई से आगे जाकर पहाड़ी के ऊपर चढ़ने के बाद पंडित दीनदयाल उपाध्याय गार्डन के सामने है। यहाँ पर रोपवे से जाने के लिए टिकट काउंटर से टिकट लेना पड़ता है।

मंदिर तक पैदल जाने के लिए सीढ़ियों के साथ रैंप बना हुआ है। चढ़ाई चढ़ते-चढ़ते बीच में लेफ्ट साइड में एक पुराना वाच टावर बना हुआ है।

वाच टावर के अन्दर ऊपर जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई है। वाच टावर के ऊपर से डूबते सूरज के साथ पिछोला झील को देखना बड़ा सुकून देता है।

वाच टावर से ऊपर पहाड़ी पर सफ़ेद रंग की दो प्राचीन छतरियाँ बनी हुई है। वाच टावर और इन छतरियों तक पहुँचने  का रास्ता पगडंडीनुमा और उबड़ खाबड़ है।

ऊपर माता के मंदिर में जाकर बड़ा सुकून मिलता है। सफ़ेद पत्थर का बना हुआ मंदिर कई स्तंभों पर टिका हुआ है। मुख्य गर्भगृह के बगल में एक छतरी बनी हुई है।

गर्भगृह में करणी माता अपने शृंगारित स्वरूप में विराजमान है। मंदिर के पुजारी प्रदीप कुमावत के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 1620 में महाराणा कर्ण सिंह ने करवाया था जिसके लिए बीकानेर के देशनोक स्थित करणी माता के मंदिर से ज्योत लाई गई थी।


इनके अनुसार करणी माता, माता पार्वती का अवतार है और चूहों वाली देवी कहलाती हैं। ये चारण जाति की कुलदेवी हैं। बहुत से लोग इन्हें दुर्गा माता का स्वरूप भी मानते हैं।

यहाँ पर भक्तों की मंशा यानी मनोकामना पूर्ण होती है जिस वजह से इन्हें मंशापूर्ण करणी माता के नाम से जाना जाता है। मान्यता के अनुसार मंदिर में सुबह और शाम दो टाइम माता के दर्शन करने से मनवांछित फल मिलता है।

मंदिर में माता के पद चिन्ह बने हुए हैं, साथ ही यहाँ पर काफी सफेद चूहे भी रहते हैं। चूँकि अभी मंदिर निर्माण की प्रक्रिया में है तो अभी इनको एक पिंजरे में रखा जाता है।

मंदिर परिसर से उदयपुर शहर के चारों तरफ का दूर-दूर तक का नजारा दिखाई देता है। जहाँ पूर्व और उत्तर दिशा में सफेदी लिए शहर दिखाई देता है तो पश्चिम में हरियाली लिए पहाड़ों के बीच में पानी से लबालब भरी पिछोला झील दिखाई देती है।

जिस प्राकृतिक सुन्दरता की तलाश आप उदयपुर में करने के लिए आये हो वो इस जगह से दिखाई देती है। इस जगह पर सुबह उगते सूरज के, तो शाम को डूबते सूरज के दर्शन होते हैं।

शाम को झील और पहाड़ इस तरह से दिखाई देते हैं जैसे हम किसी तस्वीर को देख रहे हों। रात को पिछोला के किनारे जगमग करते शाही महल और इस के बीच में जगमग करते जग मंदिर के साथ-साथ पूरा उदयपुर ऐसा दिखाई देता है जैसे आसमान में तारे टिमटिमा रहे हों।

मंदिर के आगे रोपवे की तरफ जाने पर एक बुर्ज पर से नीचे शहर में जाने के लिए अलग से सीढ़ियाँ बनी हुई है। इन सीढ़ियों के सहारे कोई दीवार नहीं बनी हुई है।

एक तो सीढ़ियों की अधिक ऊँचाई और साथ में सहारे के लिए कोई दीवार ना होने की वजह से ये काफी खतरनाक दिखाई देती हैं।

अगर आप माता के दर्शनों के साथ उदयपुर शहर की प्राकृतिक सुन्दरता को डूबते सूरज के साथ देखना चाहते हो तो आपको मंशापूर्ण करणी माता के मंदिर पर जरूर आना चाहिए।

करणी माता मंदिर उदयपुर की मैप लोकेशन - Map Location of Karni Mata Mandir



करणी माता मंदिर का वीडियो - Video of Karni Mata Mandir



डिस्क्लेमर (Disclaimer)

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Ramesh Sharma

नमस्ते! मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ और मेरी शैक्षिक योग्यता में M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS शामिल हैं। मुझे भारत की ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक स्थलों को करीब से देखना, उनके पीछे छिपी कहानियों को जानना और प्रकृति की गोद में समय बिताना बेहद पसंद है। चाहे वह किला हो, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरना, पहाड़ या झील, हर जगह मेरे लिए इतिहास और आस्था का अनमोल संगम है। इतिहास का विद्यार्थी होने की वजह से प्राचीन धरोहरों, स्थानीय संस्कृति और इतिहास के रहस्यों में मेरी गहरी रुचि है। मुझे खास आनंद तब आता है जब मैं कलियुग के देवता बाबा खाटू श्याम और उनकी पावन नगरी खाटू धाम से जुड़ी ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारियाँ लोगों तक पहुँचा पाता हूँ। इसके साथ मुझे अलग-अलग एरिया के लोगों से मिलकर उनके जीवन, रहन-सहन, खान-पान, कला और संस्कृति आदि के बारे में जानना भी अच्छा लगता है। साथ ही मैं कई विषयों के ऊपर कविताएँ भी लिखने का शौकीन हूँ। एक फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे रोग, दवाइयाँ, जीवनशैली और हेल्थकेयर से संबंधित विषयों की भी अच्छी जानकारी है। अपनी शिक्षा और रुचियों से अर्जित ज्ञान को मैं ब्लॉग आर्टिकल्स और वीडियो के माध्यम से आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 📩 किसी भी जानकारी या संपर्क के लिए आप मुझे यहाँ लिख

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