Ubeshwar Mahadev Mandir Udaipur, इसमें उदयपुर के पास महाराणा प्रताप से संबंधित ऊबेश्वर महादेव के चमत्कारी मंदिर के बारे में जानकारी दी गई है।
उदयपुर को झीलों की नगरी और पूर्व का वेनिस कहा जाता है। उदयपुर शहर में बहुत से दर्शनीय स्थल है लेकिन जब हम उदयपुर शहर से बाहर निकलते हैं तो दर्शनीय स्थलों की भरमार है।
इन्हीं दर्शनीय स्थलों में एक दर्शनीय स्थल है उबेश्वर (उभयेश्वर) महादेव का मंदिर। यह स्थल दर्शनीय स्थल होने के साथ-साथ धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल भी है।
उदयापोल बस स्टैंड से यहाँ की दूरी लगभग 21 किलोमीटर है। यहाँ पर आने के लिए अम्बा माता होकर सीधा आगे रामपुरा चौक से दाईं तरफ से जाना पड़ता है।
इसके आगे जाने पर सीधा बड़ी तालाब की तरफ ना जाकर फिर लेफ्ट साइड में जाना होता है। यहाँ से आगे मोरवानिया नदी की पुलिया से आगे धार गाँव आता है।
धार गाँव से आगे एक घाटी को पार करने के बाद राइट साइड में उबेश्वर महादेव का मंदिर आता है।
उबेश्वर महादेव के मंदिर में पहुँच कर जो सुकून मिलता है वैसा ही सुकून इसके सफर के दौरान मिलता है। सफ़र के दौरान कई जगह सड़क के बगल में नाला चलता रहता है।
कई जगह सड़क एकदम सुनसान हो जाती है और दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आता है। एक जगह तो एक दम सीधी पहाड़ी को पार करना पड़ता है।
यह काफी रोमांचकारी प्रतीत होता है। बारिश के मौसम में यह जगह जन्नत जैसा आभास कराती है। उबेश्वर महादेव का मंदिर पहाड़ों के बीचों बीच स्थित है। मंदिर के बगल में ही तालाबनुमा बड़ा कुंड मौजूद है। इस कुंड में पूरे वर्ष भर पानी भरा रहता है।
गर्मी के मौसम में आस पास के क्षेत्र में पानी की कमी हो जाती है लेकिन यहाँ पर पानी का लबालब भरे रहना आश्चर्यचकित करता है। सावन के मौसम में इस कुंड से कावड़ियों द्वारा कावड़ यात्रा निकली जाती है।
अब इस जगह को डेवलप करके शिव वन उद्यान और सीढ़ीनुमा तीन एनीकट बनाये गए हैं और इनमें जाने के लिए टिकट रखी गई है।
मंदिर का इतिहास महाराणा प्रताप के समकालीन बताया जाता है। कहते हैं कि मंदिर का निर्माण महाराणा प्रताप के पुत्र महाराणा अमर सिंह ने करवाया था।
दो भागों में क्यों विभक्त है ऊबेश्वरजी - Why is Ubeshwarji divided into two parts
मंदिर के अन्दर प्राचीन शिवलिंग स्थित है। यह शिवलिंग दो भागो में विभक्त है। इस शिव लिंग के दो भागों में विभक्त होने की भी एक कहानी है।
ऐसा बताया जाता है कि इस स्थान पर मुग़ल सेना ने महाराणा प्रताप को घेर लिया था। चारों तरफ से घिर जाने पर महाराणा प्रताप ने भोलेनाथ से मदद की प्रार्थना की।
तब यह शिवलिंग दो भागों में विभक्त हो गया और इसमें से अनगिनत मधुमक्खियाँ निकली। इन मधुमक्खियों ने अकबर की मुग़ल सेना को उदयपुर तक भगा कर महाराणा प्रताप की रक्षा की।
ऊबेश्वरजी से कैसे मांगे मनौती - How to ask for a wish from Ubeshwarji
यहाँ पर बारहों महीने धार्मिक कार्यों का आयोजन और भोजन प्रसादी चलती रहती है। प्रसादी में अधिकांशतः चूरमा बनाया जाता है। भोलेनाथ की आरती के दौरान अत्यंत धार्मिक माहौल हो जाता है। मन भोलेनाथ की स्तुति में रम जाता है।
कहते हैं कि अगर सच्चे मन से जो भी माँगा जाए तो भोलेनाथ सभी की मुराद पूरी करते हैं। शिवलिंग के ऊपर चढ़े रंग बिरंगे फूलों को प्राप्त करने के लिए होड़ मची रहती है।
बताते हैं कि शिवलिंग पर चढ़े जिस रंग के फूल की इच्छा करके कुछ माँगा जाता है और अगर वह फूल कुछ समय में शिवलिंग से नीचे गिर जाता है तो इच्छित फल अवश्य मिलता है।
उबेश्वर महादेव के मंदिर के पास में ही वैष्णो देवी का मंदिर स्थित है जो भी एक धार्मिक एवं दर्शनीय स्थल है।
अगर आप घुमक्कड़ स्वभाव के होने के साथ-साथ धार्मिक स्थलों को देखने में भी रुचि रखते हैं तो आपको उबेश्वर महादेव के दर्शन अवश्य करने चाहिए।
उबेश्वर महादेव मंदिर की मैप लोकेशन - Map Location of Ubeshwar Mahadev Mandir
उबेश्वर महादेव मंदिर का वीडियो - Video of Ubeshwar Mahadev Mandir
डिस्क्लेमर (Disclaimer)
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