चमत्कारी कुंड में नहाने से दूर हो जाते हैं चर्म रोग - Ganeshwar Dham Galav Ganga Kund

Ganeshwar Dham Galav Ganga Kund, इसमें हजारों साल पुरानी गणेश्वर सभ्यता के प्राचीन शिव मंदिर और गालव ऋषि के चमत्कारी गालव गंगा कुंड की जानकारी है।

Ganeshwar Dham Galav Ganga Kund

नीमकाथाना शहर से लगभग तेरह किलोमीटर की दूरी पर स्थित है गणेश्वर धाम। इस स्थान का दर्शनीय स्थल, तीर्थ स्थल और पुरातात्विक स्थल के रूप में विशेष महत्व है।

वर्ष 1972 में यहाँ पर लगभग 4800 वर्ष पुरानी ताम्रयुगीन सभ्यता मिलने की वजह से गणेश्वर का नाम विश्व पटल पर अंकित हो गया है।

अगर दर्शनीय स्थल के रूप में गणेश्वर को देखा जाये तो यह स्थान चारों तरफ से अरावली की पहाड़ियों से घिरा हुआ है।

इन पहाड़ियों को खंडेला की पहाड़ियों के नाम से भी जाना जाता है। किसी समय यहाँ पर एक बारहमासी नदी बहा करती थी जिसका नाम कांतली नदी था।

आज इस स्थान के प्राकृतिक सौन्दर्य को निहार कर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी समय यह स्थान अत्यंत रमणीक स्थल के रूप में रहा होगा।

आज भी इस क्षेत्र में जंगली जानवरों की बहुतायत है। इन जंगली जानवरों में बघेरा (पैंथर) मुख्य रूप से शामिल है।

बारिश के समय यहाँ का नजारा अत्यंत मनमोहक हो जाता है। चारों तरफ के पहाड़, हरियाली की चादर ओढ़ कर आगंतुकों का स्वागत करते प्रतीत होते हैं।

यहाँ पहाड़ी पर पत्थरों की बनी हुई बहुत सी बड़ी-बड़ी हवेलियाँ मौजूद है। अब इनमें से कुछ ही सुरक्षित बची है बाकी अधिकतर जीर्ण शीर्ण होकर चमगादड़ों के घरों में परिवर्तित हो चुकी है।

लगभग सभी हवेलियों पर कलात्मक भित्ति-चित्र बने हुए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि पहले यह स्थान बहुत ही वैभवशाली रहा होगा।

तीर्थ स्थल के रूप में भी गणेश्वर का विशेष रूप से महत्व है तथा इसे गणेश्वर धाम के नाम से जाना जाता है। यह भूमि भगवान शिव की भूमि मानी जाती है और इसका गणेश्वर नाम भी गणों के ईश्वर यानी भोलेशंकर के नाम पर पड़ा है।


वैसे तो यहाँ पर कई मंदिर है पर सबसे प्राचीन भगवान शिव का वह मंदिर है जिसकी वजह से इस जगह का नाम गणेश्वर पड़ा। इस मंदिर का शिवलिंग काले पत्थर का बना हुआ है जो हजारों वर्ष पुराना है।

एक दंतकथा के अनुसार हजारों वर्ष पहले इस शिवलिंग पर एक साँप नियमित रूप से पास के झरने से जल लाकर चढ़ाता था। यह क्रम बहुत वर्षों तक अनवरत चलता रहा। इस झरने को अब गालव गंगा के नाम से जाना जाता है।

इसी कथा को आधार मानते हुए आज भी इस शिवलिंग पर नाग मुखी पाइप द्वारा जल चढ़ाया जाता है। यह जल पाइप द्वारा जोड़कर उसी झरने से लाया जाता है।

यह भूमि गालव ऋषि की तपोभूमि के रूप में भी विख्यात है। इस बात का प्रमाण इस शिव मंदिर के पास में स्थित कुंड का मौजूद होना है। इस कुंड को गालव कुंड के नाम से जाना जाता है। यह मर्दाना कुंड है जिसमें पुरुष नहाते हैं।

इस कुंड में एक गोमुख बना हुआ है जिसमें से गालव गंगा रुपी झरना प्राकृतिक रूप से बारह महीने बहता रहता है। गोमुख से बहने वाला यह पानी प्राकृतिक रूप से गुनगुना है।

आस्था के हिसाब से अगर बात की जाये तो इस पानी से नहाने पर सभी प्रकार के चर्म रोग दूर हो जाते हैं।

वैज्ञानिक रूप से अगर बात की जाए तो इस पानी में प्रचुर मात्रा में सल्फर होती है और जैसा कि हम जानते हैं, सल्फर चर्म रोगों को ठीक करने में सहायक औषधि का कार्य करती है।

इस कुंड के पास में ही जनाना कुंड बना हुआ है जो कि महिलाओं के नहाने के लिए है। परन्तु इस कुंड में बिखरी गंदगी की वजह से अंदाजा लगाया जा सकता है कि शायद यहाँ महिलाएँ ही नहीं बल्कि कोई भी नहीं आता होगा।

ऐतिहासिक रूप से भी गणेश्वर एक महत्वपूर्ण स्थान है। यहाँ पर पुरातत्व विभाग को 2800 ईसा पूर्व की एक सभ्यता के अवशेष मिले हैं।

यह सभ्यता ताम्रयुगीन सभ्यता की जननी के रूप में जानी जाती है। यहाँ से ताम्बा हड़प्पा कालीन सभ्यता के विभिन्न नगरों में भेजा जाता था।

यहाँ पर प्रचुर मात्रा में ताम्बे के बने औजार, आभूषण तथा बर्तन प्राप्त हुए हैं। प्राप्त उपकरणों में मछली पकड़ने का काँटा, कुल्हाड़ी तथा बाण प्रमुख है।

किसने बसाया गणेश्वर? - Who founded Ganeshwar?


ऐसा बताया जाता है कि विक्रम संवत 1444 में बाबा रायसल महाराज ने भोजपुर्या नामक उजड़े हुए गाँव को वर्तमान गणेश्वर के रूप में बसाया था। इनके राजतिलक के दिन को डूडू महोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

इन्हें ग्राम देवता की तरह पूजा जाता है और आज भी पहाड़ी पर बने चौसले में उनकी प्रतिमा और पदचिन्हों की पूजा होती है।

गणेश्वर धाम की मैप लोकेशन - Map Location of Ganeshwar Dham



गणेश्वर धाम का वीडियो - Video of Ganeshwar Dham



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Ramesh Sharma

नमस्ते! मेरा नाम रमेश शर्मा है। मैं एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट हूँ और मेरी शैक्षिक योग्यता में M Pharm (Pharmaceutics), MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA और CHMS शामिल हैं। मुझे भारत की ऐतिहासिक धरोहरों और धार्मिक स्थलों को करीब से देखना, उनके पीछे छिपी कहानियों को जानना और प्रकृति की गोद में समय बिताना बेहद पसंद है। चाहे वह किला हो, महल, मंदिर, बावड़ी, छतरी, नदी, झरना, पहाड़ या झील – हर जगह मेरे लिए इतिहास और आस्था का अनमोल संगम है। इतिहास का विद्यार्थी होने की वजह से प्राचीन धरोहरों, स्थानीय संस्कृति और इतिहास के रहस्यों में मेरी गहरी रुचि है। मुझे खास आनंद तब आता है जब मैं कलियुग के देवता बाबा खाटू श्याम और उनकी पावन नगरी खाटू धाम से जुड़ी ज्ञानवर्धक और उपयोगी जानकारियाँ लोगों तक पहुँचा पाता हूँ। एक फार्मासिस्ट होने के नाते मुझे रोग, दवाइयाँ, जीवनशैली और हेल्थकेयर से संबंधित विषयों की भी अच्छी जानकारी है। अपनी शिक्षा और रुचियों से अर्जित ज्ञान को मैं ब्लॉग आर्टिकल्स और वीडियो के माध्यम से आप सभी तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 📩 किसी भी जानकारी या संपर्क के लिए आप मुझे यहाँ लिख सकते हैं: ramesh3460@gmail.com

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