खाटू श्याम जी इतने प्रसिद्ध क्यों हैं? - Khatu Shyam Mandir

खाटू श्याम जी इतने प्रसिद्ध क्यों हैं? - Khatu Shyam Mandir, इसमें बर्बरीक की कथा के साथ खाटू श्याम मंदिर से संबंधित सभी पहलुओं को विस्तार से बताया गया है।

Khatu Shyam Mandir

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खाटू श्याम जी कलियुग के भगवान है और इन्हें हारे के सहारे के नाम से सारी दुनिया पूजती है। खाटू श्याम, भगवान श्रीकृष्ण का ऐसा चमत्कारी रूप है जो सभी श्रद्धालुओं की मनौती पूरी करते हैं।

खाटू श्याम का चमत्कारिक मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में रींगस कस्बे से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। खाटू श्याम जी से सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन रींगस रेलवे स्टेशन है।

कौन है खाटू श्याम जी?, Kaun Hai Khatu Shyam Ji?


खाटू श्याम जी का मूल नाम बर्बरीक है। इनके पिता का नाम घटोत्कच और माता का नाम कामकंटकटा (मोर्वी) है। बर्बरीक ने महाभारत के युद्ध के समय भगवान श्रीकृष्ण को अपने शीश का दान कर दिया था।

निस्वार्थ भाव से किये गए इस शीश दान की वजह से भगवान कृष्ण के आशीर्वाद के फलस्वरूप बर्बरीक ही अब खाटू श्याम जी के नाम से जाने जाते हैं।

खाटू श्याम की कथा, Khatu Shyam Ki Katha


जब कौरवों और पांडवों के बीच महाभारत का युद्ध चल रहा था तब बर्बरीक युद्ध भूमि में आये। यहाँ आकर इन्होंने हारे हुए पक्ष की तरफ से युद्ध करने की प्रतिज्ञा की।

इनकी इस घोषणा से भगवान कृष्ण चिंतित हो गए क्योंकि कृष्ण बर्बरीक की शक्तियों से भलीभाँति परिचित थे। इसका समाधान निकालने के लिए कृष्ण बर्बरीक के पास गए।

कृष्ण ने बर्बरीक की परीक्षा कैसे ली?, Krishna Ne Barbarik Ki Pariksha Kaise Li?


कृष्ण ने बर्बरीक की परीक्षा लेने के लिए पास ही के एक पीपल के पेड़ के सभी पत्तों को एक तीर से छेदने के लिए कहा। बर्बरीक ने पीपल के पत्तों को छेदने के लिए तीर चला दिया।

जब तीर एक-एक करके पत्तों को छेद रहा था तब उसी समय एक पत्ता टूटकर नीचे गिर गया। इस टूटे हुए पत्ते को कृष्ण ने छिदने से बचाने के लिए अपने पैर के नीचे छुपा लिया।


बर्बरीक के चलाये हुए तीर ने जब पीपल के पेड़ पर लगे सभी पत्तों को छेद दिया, तब वह कृष्ण के पैर के पास आकर स्थिर हो गया। इस पर बर्बरीक ने कृष्ण को अपना पैर हटाने के लिए कहा ताकि तीर उस अंतिम पत्ते को भी छेद पाए।

चूँकि बर्बरीक ने तीर को सिर्फ पत्तों को छेदने के लिए ही चलाया था इसलिए तीर ने कृष्ण के पैर को नहीं छेदा। जैसे ही कृष्ण ने पत्ते के ऊपर से अपना पैर हटाया वैसे ही तीर ने उस अंतिम पत्ते को भी छेद दिया।

कृष्ण ने बर्बरीक का शीश क्यों माँगा?, Krishna Ne Barbarik Ka Shish Kyon Manga?


बर्बरीक की परीक्षा लेने के बाद कृष्ण उसके चमत्कार को देखकर और अधिक चिंतित हो उठे क्योंकि कृष्ण तो युद्ध के नतीजे को जानते ही थे।

उन्होंने सोचा कि जब बर्बरीक को कौरव हारते हुए नजर आएँगे तब यह अपनी प्रतिज्ञा की वजह से हारने वाले पक्ष की तरफ से युद्ध करेगा।

अगर ऐसा हुआ तो पांडवों के लिए बड़ा संकट हो जायेगा क्योंकि इसके तो एक तीर में ही इतनी शक्ति है कि यह दोनों पक्षों की सेना को समाप्त कर सकता है।

अगले दिन कृष्ण एक ब्राह्मण के भेष में बर्बरीक के पास गए और उससे दान माँगा। बर्बरीक ने जब दान माँगने के लिए कहा तब कृष्ण ने दान में बर्बरीक से उसका शीश माँगा।

बर्बरीक ने ब्राह्मण को अपना शीश दान में देने का वचन दिया लेकिन उसने ब्राह्मण से उसका परिचय माँगा। तब कृष्ण ने बर्बरीक को अपना असली रूप दिखाया।

कृष्ण ने बर्बरीक को क्या वरदान दिया?, Krishna Ne Barbarik Ko Kya Vardan Diya?


कृष्ण ने बर्बरीक के इस महादान के लिए कलियुग में अपने नाम से पूजित होकर हारे हुए लोगों के कष्ट हरने का वरदान दिया।

उन्होंने कहा कि जो भी कोई श्याम का नाम लेगा उस पर उनकी कृपा होगी और उसके सभी दुःख दूर हो जायेंगे।

बर्बरीक की अंतिम इच्छा क्या थी?, Barbarik Ki Antim Ichcha Kya Thi?


बर्बरीक ने अपनी अंतिम इच्छा के रूप में अपनी आँखों से महाभारत के युद्ध को अंत तक देखने की इच्छा प्रकट की। कृष्ण ने बर्बरीक की इच्छा को स्वीकार कर लिया।

महाभारत का युद्ध अंत तक किसने देखा, Mahabharat Ka Yuddh Ant Tak Kisne Dekha?


जब बर्बरीक ने कृष्ण को अपना शीश दान कर दिया तब कृष्ण ने बर्बरीक के शीश को युद्ध के मैदान के पास की पहाड़ी पर स्थापित कर दिया। इस पहाड़ी पर स्थापित बर्बरीक के शीश ने महाभारत के युद्ध को अंत तक देखा।

महाभारत के युद्ध का सबसे शक्तिशाली योद्धा कौन था, Mahabharat Ke Yuddh Ka Sabse Shaktishali Yoddha Kaun Tha?


महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद पांडवों में जीत के श्रेय को लेकर विवाद हो गया। तब पांडवों ने कृष्ण से इस सम्बन्ध में पूछा।

कृष्ण ने कहा कि महाभारत का पूरा युद्ध बर्बरीक के शीश ने अपनी आँखों से देखा है इसलिए युद्ध में जीत के श्रेय का निर्णय भी बर्बरीक का शीश ही कर सकता है।

सभी लोग इस बात से सहमत होकर पहाड़ी पर बर्बरीक के शीश के पास गए और इस सम्बन्ध में पूछा।

बर्बरीक के शीश ने इसका उत्तर देते हुए कहा कि उसने पूरे युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र को ही चलते देखा है और कृष्ण की वजह से ही पांडवों को महाभारत के युद्ध में जीत मिली है।

बर्बरीक ने बताया कि महाभारत के युद्ध के मुख्य सूत्रधार सिर्फ कृष्ण ही हैं, जो कुछ हुआ है सिर्फ इनकी वजह से हुआ है इसलिए कृष्ण ही महाभारत के युद्ध के सबसे शक्तिशाली योद्धा हैं।

खाटू में श्याम मंदिर का निर्माण कैसे हुआ, Khatu Me Shyam Mandir Ka Nirman Kaise Hua?


समय के बीतने के साथ बर्बरीक का शीश नदी में बहकर खाटू में चला गया। बाद में यह शीश वर्तमान श्याम कुंड वाली जगह पर खुदाई करने पर मिला।

1027 ईस्वी में राजा रूप सिंह चौहान और उनकी पत्नी नर्मदा कँवर ने शीश के प्रकट होने वाली जगह से थोड़ी दूरी पर शिव मंदिर के निकट एक मंदिर बनवाकर स्थापित करवाया।

मुगल काल में बादशाह औरंगजेब ने श्याम बाबा के इस सबसे प्राचीन मंदिर को तुड़वा डाला और इस श्याम मंदिर की जगह मस्जिद बनवा दी। यह मस्जिद आज भी बाजार में स्थित है।

औरंगजेब की मृत्यु के बाद 1720 ईस्वी में अभय सिंह ने बाबा श्याम के शीश को वर्तमान श्याम मंदिर में स्थापित करवाया। तब से लेकर अब तक समय के साथ श्याम मंदिर में कई बदलाव आते रहे हैं।

ज्यादातर लोगों को तो खाटू में असली प्राचीन श्याम मंदिर के बारे में पता ही नहीं है। पंडित झाबरमल्ल शर्मा की किताब खाटू श्यामजी का इतिहास में इस बात को स्पष्ट रूप से बताया गया है।

खाटू श्याम के अनजाने रहस्य, Khatu Shyam Ke Anjane Rahasya


1. खाटू श्याम को शीश दान से पहले बर्बरीक के नाम से जाना जाता था। बर्बरीक महाबली भीम के पोते थे। इनके पिता का नाम घटोत्कच और माता का नाम मोर्वी (कामकंटकटा) था।

2. बर्बरीक ने जन्म लेते ही युवास्था को प्राप्त कर लिया था। बर्बरीक के बाल, बब्बर शेर की तरह घुंघराले होने की वजह से इन्हे बर्बरीक या वर्वरीक नाम दिया गया।

3. बर्बरीक राक्षस कुल में जन्मे थे। इनकी दादी हिडिम्बा एक राक्षसी थी। बर्बरीक अपने पिता घटोत्कच से भी ज्यादा बलशाली और मायावी थे।

4. बर्बरीक ने गुप्त स्थान पर रहकर नव देवियों की पूजा करके उन्हें प्रसन्न किया। नवदेवियों ने बर्बरीक को तीन अभेद्य बाण प्रदान किये जिससे ये तीन बाणधारी के नाम से प्रसिद्ध हुए।

5. बर्बरीक की प्रारंभिक गुरु उनकी माता मोरवी थी जिसने उसे युद्ध कौशल सिखाया था। बाद में बर्बरीक ने भगवान श्रीकृष्ण से ज्ञान प्राप्त किया। श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को सुहृदय नाम दिया।

6. बर्बरीक ने सदैव के लिए बृह्मचर्य व्रत धारण कर रखा था इसलिए नाग कन्याओं द्वारा विवाह का प्रस्ताव रखे जाने पर भी इन्होंने विवाह नहीं किया।

7. विजय नामक ब्राह्मण के सम्मान में देवी और देवताओं ने बर्बरीक को सिद्धैश्वर्य प्रदान कर इनका नाम सिद्धसेन रखा।

8. जब पांडव वन वन भटक रहे थे तब चंडिका देवी के पास कुंड के जल को दूषित करने की बात पर बर्बरीक का भीम से युद्ध हुआ जिसमें भीम परास्त हुए।

बाद में आत्मग्लानि से पीड़ित बर्बरीक को देवियों ने चंडिका के कार्य सिद्धि के लिए दिए जाने वाले बलिदान के लिए चांडिल्य नाम दिया।

9. बर्बरीक अपने पूर्वजन्म में सुर्यवर्चा नामक यक्ष थे जिन्होंने ब्रह्माजी के श्राप की वजह से बर्बरीक के रूप में जन्म लिया। 

10. खाटू श्याम बाबा यानी बर्बरीक को श्रीराम के बाद सबसे बड़ा धनुर्धर माना जाता है।

11. खाटू श्याम को हारे का सहारा माना जाता है यानी जिसे कहीं भी सहारा नहीं मिलता उसे बाबा श्याम सहारा देते हैं।

12. खाटू श्याम का सबसे बड़ा मंत्र जय श्री श्याम है। इस मंत्र को बोलने मात्र से ही श्याम बाबा की कृपा होने लगती है।

13. खाटू श्याम का प्राचीन मंदिर वर्ष 1027 में बना था जिसे औरंगजेब ने तुड़वा दिया। इस टूटे हुए मंदिर की जगह मस्जिद बनाई गई जो आज भी शाहआलम मस्जिद के नाम से खाटू में है।

14. वर्तमान खाटू श्याम मंदिर का निर्माण 1720 ईस्वी में अभय सिंह ने करवाया था जिसमें प्राचीन मंदिर से बर्बरीक का शीश लाकर स्थापित करवाया गया था।

15. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को बर्बरीक का शीश प्रकट हुआ था इसलिए इस दिन खाटू श्याम बाबा का जन्मदिन मनाया जाता है।

16. फाल्गुन शुक्ल पक्ष की द्वादशी को बर्बरीक ने श्रीकृष्ण को अपना शीश दान किया था इसलिए इस दिन बाबा श्याम का लक्खी मेला भरता है।

लेखक (Writer)

रमेश शर्मा {एम फार्म, एमएससी (कंप्यूटर साइंस), पीजीडीसीए, एमए (इतिहास), सीएचएमएस}

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Ramesh Sharma

My name is Ramesh Sharma. I am a registered pharmacist. I am a Pharmacy Professional having M Pharm (Pharmaceutics). I also have MSc (Computer Science), MA (History), PGDCA and CHMS. Being a healthcare professional, I want to educate people so I write blog articles related to healthcare system. I am creator so I write articles and create videos on various topics such as physical, mental, social and spiritual health, lifestyle, eating habits, home remedies, diseases and medicines to provide health education to people for their healthy life. Usually, I travel at hidden historical heritages to feel the glory of our history. I also travel at various beautiful travel destinations to feel the beauty of nature.

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